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आखिर जिंदगी की जंग हार गए इटावा जिले के वरिष्ठ पत्रकार, मु. जुनेद तैमूरी शोक में डूबा साहित्य जगत आज भी

शोक में डूबा साहित्य जगत श्रद्धांजलि देने वालो का लगा तांता

इटावा। पंजाब केसरी के ब्यूरो चीफ मोहम्मद जुनेद तैमूरी आखिर जिंदगी की जंग हार गए। उनका आज अलीगढ़ में हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया। वह 60 साल के थे।
जनपद की पत्रकारिता को शिखर पर ले जाने वाले जुझारू पत्रकार पंजाब केसरी के ब्यूरो चीफ मु. जुनैद तैमूरी के निधन से पत्रकारिता एवं साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। तैमूरी साहब ने छात्र जीवन से ही पत्रकारिता में पदार्पण कर दिया था। उन्हें प्रलय समाचार पत्र के संपादक प्रताप सिंह चौहान का सानिध्य और आशीर्वाद प्राप्त हुआ और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा पत्रकारिता को नया आयाम देते हुए आगरा से प्रकाशित अमर उजाला को शून्य से शिखर तक पहुंचाने में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया एक लंबे समय तक अमर उजाला समूह को अपनी सेवाएं दीं। इसके उपरांत उन्होंने पत्रकारिता को नए आयाम देते हुए एक ऐसी आधारशिला रखी कि जिसके प्रकाश से इटावा जनपद ही नहीं बल्कि देश व प्रदेश के पत्रकार उनकी जुझारू छवि से लाभान्वित हुए उन्होंने एक नहीं अनेकों शिष्य पत्रकारिता जगत को दिये । जिससे पत्रकारिता प्रकाश मय हो रही है पत्रकारिता का स्तंभ कहे जाने वाले स्वर्गीय तैमूरी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे । उन्होंने पत्रकारों के मान सम्मान के लिए हमेशा संघर्ष किया इसके लिए पत्रकारिता जगत उनका हमेशा ऋणी रहेगा। समाचार संकलन में स्वर्गीय तैमूरी साहब का कोई जवाब नहीं था बड़े-बड़े पत्रकार इस संबंध में उनसे विचार विमर्श करते थे। तैमूरी साहब का निधन उनके इंजीनियर बेटे फैज तैमूरी के अलीगढ़ निवास पर हृदय गति रुक जाने से हुआ वह लगभग 5 वर्षों से डायलिसिस पर थे। लेकिन उनमें असीम हिम्मत थी उन्होंने कभी भी यह महसूस नहीं होने दिया कि वह बीमार हैं वह कोमल मन और अखखड़ स्वभाव के स्वामी थे यही उनकी सबसे बड़ी पहचान थी वह गरीबों के मसीहा थे।
तैमूरी साहब के निधन से पत्रकारिता एवं साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

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