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मौलाना आजाद सामाजिक एकता समिति ने आजाद भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्म दिवस को शिक्षा दिवस के रूप में मनाया

इटावा। मौलाना आजाद सामाजिक एकता समिति के तत्वावधान में अंजुमन हिदायतुल इस्लाम हाईस्कूल के प्रांगण में आजाद भारत के प्रथम शिक्षा मन्त्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म दिवस राष्ट्रीयता शिक्षा दिवस के रूप में मनाया गया। समिति के अध्यक्ष जमील कुरैशी ‘आजाद’ ने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों का फूल माला, शॉल ओढ़ाकर सम्मानित करते हुए प्रतीक चिन्ह भेंट किया। उपस्थित अतिथियों एवं उपस्थित गणमान्य नागरिकों ने मौलाना अबुल कलाम आजाद के जीवन पर विस्तृत से रोशनी डालते हुए उनके जीवन को अपने जीवन में प्रेरणा बनाने की बात कही।

शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आजाद का योगदान अनुकरणीय: रिजवान अहमद

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जयचन्द्र भदौरिया ने मौलाना अबुल कलाम के बारे मे ंरोशनी डालते हुए कहा कि आजाद भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान अनुकरणीय रहा है। उन्होंने अपने कार्यकाल में शिक्षा के साथ गंगा जमुनी संस्कृति को प्राथमिकता दी थी। कार्यक्रम की सदारत करते हुए नफीसुल हसन अंसारी ने कहा कि मौलाना साहब ने अपने कार्यकाल में शिक्षा के साथ संस्कृति को प्राथमिकता दी थी। उन सबके हम सदैव ऋणी रहेंगे।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि रिजवान अहमद प्रशासनिक अधिकारी, जिलाध्यक्ष स्वास्थ्य इटावा एसोसियेशन ने कहा कि राष्ट्र के नवनिर्माण में उनके द्वारा किए गए कार्यों को आज भी याद किया जाता है। श्री रिवाजन ने कहा कि कुरआन की पहली सूरत जो नाजिल हुई उसमें खुदा ने पढ़ने और पढ़ाने का जिक्र किया गया। मौलाना अबुल कलाम आजाद साहब ने भी शिक्षा पर जोर दिया। मौलाना अबुल कलाम आजाद ने ऐसी सोच पैदा की जिसमे ंपटेल, और नेहरू भी चलना पसंद करते थे, ऐसे महापुरुषों के बताये हुए रास्तों पर हम और आपको चलने की जरूरत है। मौलाना साहब की नजर में जितना महत्व उच्च शिक्षा का था उतना ही प्राथमिक शिक्षा का भी था। उन्होंने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे सरीखे लोग कभी मरते नहीं, बल्कि अपने विचारों से वे जिंदा रहते हैं। कलाम साहब ने देश में शिक्षा के ढांचे में सुधार करने का सपना देखा था और उन्होंने इसे पूरा करने का प्रयास भी किया। इसके लिए देश उनका ऋणी रहेगा।

समिति के अध्यक्ष जमील कुरैशी ने कहा कि देश के हालात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देश में आज मौलाना, गांधी, नेहरू, पटेल को दोबारा जन्म लेने की जरूरत है। देश को मौलाना की तरबियत, गांधी के आदर्श, नेहरू की योजना तथा पटेल की फैसलों की जरूरत है।
गोष्ठी में करहल से आये समिति के प्रदेश सचिव नसीम पठान, राजेश, डॉ. इकबाल जिलाध्यक्ष पीस पार्टी, दिनेश यादव, रहबर खान, सद्दाम अहमद, मु0 आरिफ, एहसान कुरैशी, शफी अहमद बालिक, कफील एडवोकेट, गुडडू मंसूरी, मनोज शाक्य, शकील वारसी, यश तिवारी, मास्टर गुलरेज आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये।

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