इटावा धनुष यज्ञ सुनि रघुकुल नाथा ।हरषि चले मुनिवर के साथा ।आयोजित श्री रामकथा के तीसरे दिन की कथा की शुरूआत कौशल जी महाराज ने मानस की पंक्ति धनुष जग्य सुनि रघुकुल नाथा, हरषि चले मुनिवर के साथा… से की। धनुष यज्ञ की बात सुनकर रघुनाथ मुनिवर विश्वामित्र के साथ जनकपुर के लिए प्रस्थान करते हैं।
श्री कौशल जी महाराज आगे कहते हैं कि भगवान राम मुनिवर के साथ पहुंचते हैं तो अहिल्या रूप में एक अक्रिय चेतना दिखी। मुनि कहते हैं कि अहिल्या के कर्म का हिसाब-किताब मत करना प्रभु, इसका सीधे उद्धार कर दो
मानस में कर्म को प्रधान कहा गया है।कर्म प्रधान विश्व करि राखा, जो जस करहिं सो तस फल चाखा…। कर्म की गति बहुत गहन होती है। जब तक हम कुंवारे बेटा है या बेटी ये कि मैं किस बापका बेटा हूं कि परिवार की बिटिया हूं मेरे बाप की कितनी बड़ी इज्जत है 14 वर्ष से 20 वर्ष तकअपने सर पर अपने पिता को रखिए 44 साल से 60 साल तक अपने गुरु को सर पर रखिए माता-पिता के आशीर्वाद बटोरे जाते हैं
पवित्र नदियों के संरक्षण पर पूज्य कौशल जी महाराज ने कथा में भारत की पवित्र नदियों के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि जड़ परंपरा रास नहीं आती, परंपरा प्रवाही होनी चाहिए। सरयू बहती है, प्रवाही परंपरा है। सरयू में नहाते हैं तो पाप मुक्त कर देती है। लेकिन यदि सरयू के जल से बर्फ बनाकर कपड़े धोएंगे तो कपड़ा विकृत हो जाएगा। प्रवाही परंपरा से निर्मलता आती है तो जड़ परंपरा से मूढ़तापूर्ण विकृति आती है। कथा कभी गंगा कभी सरयू, तो सरस्वती के रूप में ये प्रवाह इटावा वासीयो का सौभाग्य है कि यहां मां यमुना साक्षात रूप में आप सबको आशीर्वाद देने के लिए विराजित है आरती मुख्य यजमान एमपी सिंह तोमर ने अपनी पत्नी श्रीमती बबीता तोमर के साथ उतारी कथा में सदर विधायक सरिता भदौरिया जिला प्रभारी कमलावती दिव्य प्रेम सेवा मिशन ट्रस्टी राघवेंद्र सिंह फर्रुखाबाद विधायक नागेंद्र राठौर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के ओएसडी विवेक सिंह वरिष्ठ अधिवक्ता लखनऊ हाई कोर्ट दिव्य प्रेम सेवा मिशन उपाध्यक्ष गिरीश चंद्र सिंनहा पूर्व सांसद रघुराज सिंह शाक्य महंत शंभू नाथ उषा चंद्रा रामकुमार चौधरी अनंत अग्रवाल जयवीर सिंह रमेश राजपूत इंद्र नारायण पांडे संतोष सिंह चौहान धर्मेंद्र भदोरिया आदि ने कथा रसपान किया
Author: मोहम्मद इरफ़ान
Journalist