जसवंतनगर/इटावा पंचकल्याणक महोत्सव के चतुर्थ दिन आज नेमिनाथ भगवान को केवलज्ञान प्राप्त हुआ
सुबह नित्य नियम कार्यक्रम के तहत अभिषेक शांतिधारा पंचकल्याणक विधान यज्ञ जाप अनुष्ठान आहुतियों के साथ संगीतमय बाल ब्रा प्रतिस्ठाचार्य अक्षय भैया के सानिध्य में हुआ।
प्रवचन करते गुरुदेव ने दान की महिमा कहते हुए बताया कि दान से दरिद्रता का नाश होता है। सर्वोच्च दान आहार दान होता है। अतः अपने आस पास किसी कमजोर को दान दे अगर नगर में कही दिगम्बर मुनि आये तो उनका चौका जरूर लागये नवधा भक्ति कर उनको आहार कराए अपने जीवन मे प्रतिक्षण दान की भावना भाने से आत्मा का कल्याण होता है। प्रवचन के बाद नेमिकुमार महाराज जो कि राज पाठ परिवार का परित्याग कर चुके थे उनके आहार के लिए आदित्य सागर महाराज विधिनायक नेमिनाथ भगवान की प्रतिमा को अपने मस्तक पर धारण करके जैन मुहल्ले की गलियों से जब निकले तब समूचे समाज के लोग अपने अपने घरों के बाहर सुंदरतम रंगोली बनाकर व गुब्बारे से पूरे नगर को सजाते हुए हे स्वामी नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु हे स्वामी नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु अत्रो अत्रो तिष्टि तिष्टि पुकार कर निवेदन कर त्रिलोकी नाथ आप मेरे घर पधार कर आहार को निवेदन करते है।विधि अनुसार आहार कराने का सौभाग्य रवि अमन जैन परिवार को मिला।
जिज्ञासु श्रावक श्रेस्ठी अनीता जैन ने प्रश्न किया हे गुरुदेव भावना भाकर भी धर्म कार्य मे दान न दे पाना क्या कारण है।
गुरुदेव ने कहा अंतराय कर्म के कारण ऐसा होता है।दान दे नही सकते तो भी कोई बात नही लेकिन भावना सदैव भानी चाहिए।
चार गति और चौरासी लाख योनि में घूमने के बाद मनुष्य पर्याय प्राप्त हुई होती है।इसका दुरपयोग न कर भगवत कार्यो में लागये
सायं काल मे समवशरण लगा जिसमे जन-जन के कल्याण की भावना देने वाले भगवान के समवशरण में विराजित आचार्य आदित्य सागर महाराज ने समवशरण में बारे में बताया कि भगवान के समवसरण में सभी ऋतुओ के फल व सुगंधित वातावरण हो जाता है त्रियांच् देव गति के इंद्र व मनुष्य जीव आकर अपने कल्याण के लिए भगवन की वाणी को सुन अपना कल्याण करते है। और अभव्य जीव बाहर के आवरण में ही भटकता है। ओर जन्म-जन्म तक भटकता ही रहता है।
Author: मोहम्मद इरफ़ान
Journalist