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सपा में लगी इस्तीफों की झड़ी,स्वामी प्रसाद के बाद सलीम शेरवानी ने दिया पार्टी महासचिव पद से इस्तीफा

लखनऊ।लोकसभा चुनाव सर पर है।चुनावी बिगुल कभी भी बज सकता है।सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी मैदान में जीत दर्ज करने के लिए जुटी हुई हैं,लेकिन समाजवादी पार्टी में कुछ ठीक नहीं चल रहा है।सपा के वरिष्ठ पदाधिकारी इस्तीफा दे रहे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्या के पार्टी महासचिव पद से इस्तीफा देने के बाद अब पांच बार के सांसद सलीम शेरवानी ने महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है।सलीम ने इस्तीफा देते हुए कहा कि मुसलमान उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और पार्टी के प्रति अपना विश्वास लगातार खो रहे हैं।

सलीम शेरवानी ने कहा कि मैं पिछले कुछ समय से आपसे लगातार मुसलमानों की स्थिति पर चर्चा करता रहा हूं। मैंने हमेशा यह बताने का प्रयास किया है कि मुसलमान उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और पार्टी के प्रति अपना विश्वास लगातार खो रहे हैं। पार्टी के साथ उनकी दूरी लगातार बढ़ रही है और वो एक सच्चे रहनुमा की तलाश में हैं। सलीम ने कहा कि पार्टी को उनके समर्थन को कम करके नहीं आंकना चाहिए। मुसलमानों में यह भावना बढ़ती जा रही है कि धर्मनिरपेक्ष मोर्चे में कोई भी उनके जायज मुद्दे को उठाने के लिए तैयार नहीं है।

सलीम शेरवानी ने कहा कि मैंने पार्टी की परंपरा के अनुसार बार-बार मुस्लिम समाज के लिए एक राज्यसभा सीट के लिए अनुरोध किया था। सलीम ने कहा कि भले ही मेरे नाम पर विचार नहीं किया जाता,लेकिन पार्टी द्वारा घोषित उम्मीदवारों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं था। सलीम ने पार्टी आलाकमान पर हमला बोलते हुए कहा कि आपके द्वारा जिस तरह से राज्यसभा के टिकट का वितरण किया गया है उससे यह प्रदर्शित होता है कि आप खुद ही पीडीए को कोई महत्व नहीं देते हैं,जिस कारण यह प्रश्न उठता है कि आप बीजेपी से अलग कैसे हैं।

सलीम शेरवानी ने कहा कि एक मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाने का प्रयास बेमानी साबित हो रहा है। कोई भी इसके बारे में गंभीर नहीं दिखता है। ऐसा लगता है कि विपक्ष सत्ता पक्ष की गलत नीतियों से लड़ने की तुलना में एक दूसरे से लड़ने में अधिक रुचि रखता है।अब धर्मनिरपेक्षता दिखावटी बन गई है। सलीम ने कहा कि भारत में खासकर उत्तर प्रदेश में मुसलमानों ने कभी भी समानता, गरिमा और सुरक्षा के साथ जीवन जीने के अपने अधिकार के अलावा कुछ नहीं मांगा,लेकिन पार्टी को यह मांग भी बहुत बड़ी लगती है। पार्टी के पास हमारी इस मांग का कोई जवाब नहीं है। इसलिए मुझे लगता है कि मैं सपा में अपनी वर्तमान स्थिति के साथ अपने समुदाय की स्थिति में कोई बदलाव नहीं ला सकता।

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