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पंचामृत व फलों के रस से किया गया नित्यानंद महाप्रभु का अभिषेक गौर निताई परिवार ने हर्सोल्लास से मनाया महाप्रभु का अवतरण दिवस


इटावा। भगवान श्री कृष्ण के अग्रज व शेषावतार बलराम जी के अवतारी नित्यानंद महाप्रभु का अवतरण दिवस श्री श्री गौर निताई परिवार के तत्वावधान में श्रद्धाभाव के साथ हर्सोल्लास से मनाया गया। इस मौके पर हरिनाम के बीच महाप्रभु का पंचामृत ,फलों के रस व नारियल पानी से महाभिषेक किया गया। इस दौरान भक्तो के द्वारा भगवान पर खूब पुष्प वर्षा भी की गयी। हरिनाम संकीर्तन पर श्रद्धालु खूब झूमें वही नित्यानंद महाप्रभु के जयघोष गुंजायमान होते रहे।
माघ मास की त्रयोदशी पर भगवान नित्यानंद महाप्रभु का अवतरण दिवस मनाया जाता है। श्री श्री गौर निताई परिवार के तत्वाधान में पक्का तालाब के किनारे स्थित सत्संग स्थल पर अवतरण दिवस आध्यात्मिक वातावरण में मनाया गया। यहां पर परिवार के मुखिया व सनातन धर्म प्रचारक पंडित मनुपुत्र दास ने श्रद्धालुओं के साथ पंचामृत ,फलों के रस व नारियल पानी से नित्यानंद महाप्रभु का अभिषेक किया और भगवान का श्रंगार कर भोग अर्पित किया और आरती भी उतारी। अभिषेक के बीच में हरी नाम संकीर्तन चला रहा जिस पर श्रद्धालु झूमते रहे भगवान के अवतरण दिवस की खुशी में पंडित मनुपुत्र दास के द्वारा भक्तों के ऊपर जमकर फल फूल मेवा व अन्य सामानों की लुटाई भी की गई।
इस मौके पर पंडित मनुपुत्र दास ने भक्तों को भगवान के अवतरण दिवस पर वताया कि नित्यानंद महाप्रभु का अवतरण पश्चिम बंगाल के गांव एक चक्र में हुआ था।कलयुग में गौरांग महाप्रभु जिन्हें चैतन्य महाप्रभु के नाम से भी जाना जाता है उन्होंने भी अवतार लिया था जो कि भगवान कृष्ण का ही अवतार है और उन्ही के साथ ही उनके भाई बलराम जी ने भी नित्यानंद रूप में अवतार लिया था। कलयुग में लोगों तक भगवान कृष्ण के नाम का प्रचार करने के लिए उन्होंने ये अवतार लिया था और उन्होंने अपना जीवन भगवान का स्मरण व उनके नाम का प्रचार करने में ही व्यतीत किया था। यदि आप भगवद्धाम में श्री श्री राधा-कृष्ण के संग के लिए व्याकुल हैं, तो सर्वोत्तम युक्ति यह है कि आप श्री नित्यानद प्रभु का आश्रय लें।
उन्होंने बताया कि नित्यानंद नाम ही सूचक है,नित्य अर्थात शाश्वत, आनंद अर्थात सुख। भौतिक सुख शाश्वत नहीं होता, यही अंतर है। इसलिए जो बुद्धिमान हैं वे इस भौतिक संसार के क्षणिक सुख में रूचि नहीं लेते। जीवात्मा होने के नाते हम सभी सुख की खोज में हैं, परन्तु जो सुख हम खोज रहे हैं वह क्षणिक है अस्थायी है यह सुख नही है। वास्तविक सुख है नित्यानंद, शाश्वत सुख। जो नित्यानंद महाप्रभु के संपर्क में नहीं है उनके लिए ऐसा समझना चाहिए कि उनका जीवन व्यर्थ है। कार्यक्रम के बाद सभी भक्तों को महाप्रसाद वितरित किया गया ।

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