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पंकज उधास का काशी से था गहरा नाता,आखिरी बार शाम-ए-बनारस में गूंजी थीं चिठ्ठी आई है

वाराणसी।अपनी मखमली आवाज से दिलों में राज करने वाले गजल गायक पंकज उधास के निधन से संगीत प्रेमी निराश हैं। पंकज उधास ने देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में आखिरी बार शाम-ए-बनारस में दी थी। अप्रैल 2022 में सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में अग्रवाल महासभा की ओर से आयोजित कार्यक्रम की यादें काशी के जेहन में आज भी ताजा है।श्रोताओं ने सबसे अधिक मांग चिठ्ठी आई है… और निकलो ना बेनकाब… के लिए की थी।

रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में पंकज उधास ने मीराबाई के भजन पायो जी मैंने राम रतन धन पायो… से शुरुआत की थी। इसके बाद न फूल चढ़ाऊं न माला चढ़ाऊं, ये गीतों की गंगा मैं तुझको चढ़ाऊं…सुनाया। इसके बाद जब गजलों की महफिल शुरू हुई तो आप जिनके करीब होते हैं, वो बड़े खुशनसीब होते हैं, चिट्ठी आई है आई है चिठ्ठी आई है, चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल पर तो लोग झूम उठे थे।मोहे आई ना जग से लाज मैं ऐसा जोर के नाची आज कि घुंघरू टूट गए, जिएं तो जिएं कैसे बिन आपके… जैसी सदाबहार गजलों ने महफिल में चार चांद लगाए थे।

गजल गायक पंकज उधास का देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी से काफी गहरा नाता था। पंकज उधास अक्सर धार्मिक यात्रा पर काशी आते रहते थे।पंकज उधास शो के लिए 2012 में काशी आए थे। रात 10 बजे तक शो खत्म होना था,लेकिन फैंस ने पंकज उधास को वहां से जाने नहीं दिया। पंकज उधास पूरी रात लोगों को गजलें सुनाते रहे और अगले दिन उनके खिलाफ वाराणसी कोर्ट में एक केस भी दायर कर दिया गया। पंकज उधास पर आरोप लगा कि रात 10 बजे के बाद पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की अनदेखी करते हुए रात भर गीत सुनाया। पंकज उधास पर ध्वनि प्रदूषण का आरोप लगाया गया। इसके बाद पंकज उधास 2017, 2022 और 2023 में काशी आए थे।काशी की पंकज उधास की अंतिम यात्रा धार्मिक थी। पंकज उधास ने बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन करने के साथ ही मां गंगा की आरती भी उतारी थी।

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