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धूमधाम से मना प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का जन्म व तप कल्याणक महोत्सव नगर के दोनों जैन मंदिरों में रही जन्म कल्याणक महोत्सव की धूम

जसवंतनगर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान श्री आदिनाथ का जन्म एवं तप कल्याणक महोत्सव आज श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर एवं श्री महावीर जैन मंदिर लुधपुरा जसवंतनगर में बहुत ही धूमधाम से मनाया गया जिसमें अनेकों कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

सर्वप्रथम सौधर्म इंद्र द्वारा तीर्थंकर भगवान को समवशरण से पालकी में विराजमान किया गया इसके उपरांत इंद्रो ने भगवान श्री आदिनाथ की भव्य पालकी को नगर में भ्रमण कराया। पालकी यात्रा में जैन श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा ।पीले धोती दुपट्टा पहनकर दर्जन युवा भगवान के जयगोष व जयकारे लगाते हुए चल रहे थे। भगवान के जन्म व तप कल्याणक महोत्सव का हर्ष सबके चेहरे पर झलक रहा था। सभी इंद्र, इंद्राणी एवं श्रद्धालु भगवान की भक्ति गुणगान करते हुए पालकी यात्रा में चल रहे थे।

प्रातः ही मंदिर में जैन श्रद्धालुओं का तांता लगने लगा विभिन्न लोगों ने सारथी बनकर श्री जी को पालकी में ले जाने का सौभाग्य प्राप्त किया। भगवान का पांडुक शिला पर भव्य अभिषेक, भक्ति एवं गुणगान इंद्र द्वारा किया गया। सौधर्म इन्द्र प्रथम अभिषेक के रूप में अभिषेक जैन,प्राशुक जैन द्वारा व भगवान की प्रथम दिव्य शांति धारा करने का सौभाग्य नलिन जैन,संभव जैन परिवार को प्राप्त हुआ। मुख्य इंद्र में क्रमशः राकेश निकेतन जैन, पंकज मोक्ष जैन, नलिन संभव जैन, शिवकांत आराध्य जैन रहे सभी इंद्र ने भक्ति भाव पूर्वक श्री जी का भव्य अभिषेक किया। इसके बाद भगवान को महाअर्घ्य समर्पित किए गए। इससे पूर्व इंद्र इंद्राणीयो द्वारा जैन भजनों पर नृत्य की प्रस्तुति दी गई जिससे समूचा वातावरण भाव विभोर हो गया भगवान के जयकारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया।

तीर्थंकर आदिनाथ भगवान के बारे में जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी आराध्य जैन व कार्यक्रम संयोजक निकेतन जैन ने बताया तीर्थंकर आदिनाथ अनादि निधन जैन धर्म के प्रवर्तक व असि, मसि, कृषि, वाणिज्य व शिल्प विद्या के प्रदाता हैं। वे इस युग के प्रथम तीर्थंकर हैं आज ही के दिन माता मरु देवी ने उन्हें जन्म दिया था व अप्सरा नीलांजना के नृत्य को देखकर उन्हें वैराग्य हुआ जिसमें हजारों लोगों ने उनके साथ मुनि दीक्षा ली।

दोपहर में महिला मुमुक्षु मंडल द्वारा भगवान का गुणगान एवं भजन आयोजन किया गया। शाम को आरती के बाद भगवान के पालना झूलन का कार्यक्रम हुआ। जिसमें तीर्थंकर बालक को सर्वप्रथम पालना झुलाने का सौभाग्य आशीष अक्षांश जैन परिवार को मिला तदुपरांत सभी श्रद्धालुओं ने पालना झुलाया। कार्यक्रम को सफल बनाने में महिला मुमुक्षु मंडल का सहयोग रहा। जिसमें अमिता जैन, ज्योति जैन, मोती रानी जैन, अनीता जैन, लाली जैन, लता जैन, रेनू जैन, नेहा जैन, विवेका जैन, रश्मि जैन ,निशा जैन, अंशु जैन, संध्या जैन, सुनीता जैन, आदि का विशेष सहयोग रहा।

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