वाराणसी।इन दिनों सियासी गलियारों में वाराणसी लोकसभा को लेकर अजब-गजब के दावे देखे जा रहे हैं।कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के नेता बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं।लोकसभा चुनाव में 99 का आंकड़ा छूकर राहुल गांधी ने तो प्रियंका गांधी वाड्रा के जीत की गारंटी भी बता डाली, लेकिन क्या सच में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने विपक्ष के लिए यह लोकसभा आसान होती।इसका अंदाज आप यह रिपोर्ट पढ़कर लगा सकते हैं,जो दूध का दूध और पानी का पानी कर देगी।
1991 से इस लोकसभा पर भाजपा का कब्जा
हम आपको वाराणसी लोकसभा पर भारतीय जनता पार्टी के पकड़ का सच बताते हैं।वाराणसी लोकसभा पर वैसे तो कांग्रेस और भाजपा लगभग बराबरी पर है,लेकिन 1991 से इस लोकसभा पर भाजपा का कब्जा रहा है। 1991 में भाजपा से यहां से श्रीश चंद्र दीक्षित ने जीत हासिल की।फिर 1996,1998 और 1999 में शंकर प्रसाद जायसवाल ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की। 2004 में भाजपा की आंतरिक कलह से यहां कांग्रेस प्रत्याशी राजेश मिश्रा ने जीत दर्ज की। 2009 में मुरली मनोहर जोशी ने कांग्रेस को हराकर फिर से वाराणसी लोकसभा में भाजपा का परचम लहराया। 2014 में यहां से नरेंद्र मोदी चुनाव लड़े और 2024 में लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की।
नरेंद्र मोदी की रेकॉर्ड मतों से जीत
अब अगर राहुल गांधी,डिंपल यादव और आप नेताओं के दावों की बात करें तो आप सिर्फ जीत के इन आंकड़ों को समझ लीजिए और आपको पता चल जाएगा कि वाराणसी लोकसभा पर कैसे नरेंद्र मोदी का कब्जा बरकरार रहता। 2014 में नरेंद्र मोदी ने यहां से 581022 वोट हासिल कर अरविंद केजरीवाल को 371078 वोटों के अंतर से हराया। अजय राय पहली बार उस समय पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े थे और मात्र 75 हजार वोट मिले थे।वहीं यह अंतर 2019 में और बढ़ गया।कांग्रेस से अजय राय ने फिर नरेंद्र मोदी के सामने चुनाव लड़ा और सपा से शालिनी यादव ने चुनाव लड़ा।इस चुनाव में नरेंद्र मोदी ने 669602 वोट हासिल कर चार लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। इस चुनाव में अजय राय 151800 वोट हासिल कर तीसरे नंबर पर थे और शालिनी यादव 193848 वोट हासिल कर दूसरे नम्बर पर रहीं। अब 2024 में इंडी गठबंधन और पीएम मोदी आमने-सामने थे, जिसमें अजय राय तीसरी बार चुनाव लड़े और 460457 वोट हासिल किया,जबकि पीएम मोदी ने 612970 वोट हासिल कर 152513 वोटों के अन्तर से जीत हासिल की।
अब बात दावों की
इस बार लोकसभा चुनाव बदली हुई काशी की तस्वीर पर लड़ा गया।पीएम मोदी द्वारा करवाए गए विकास से काशी अंतरराष्ट्रीय मंच पर ब्रांड बनकर सामने आई,जिससे वाराणसी के लोग पहले ही पीएम मोदी को विजय का आशीर्वाद दे चुके थे।मामला सिर्फ अंतर का था,हां इस बार पीएम मोदी के जीत में अंतर जरूर कम हुआ,लेकिन वो गठबंधन के प्रत्याशी के मजबूती के कारण नहीं, बल्कि मतदाताओं के अतिआत्मविश्वास ने रिकॉर्ड मतों पर लगाम लगा दी।
Author: मोहम्मद इरफ़ान
Journalist