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दिल्ली के बुराड़ी में बन रहा केदारनाथ मंदिर,उत्तराखंड में गुस्से में पुजारी

देहरादून। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बुराड़ी के हिरनकी में श्री केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर स्थापित किए जाने का जमकर विरोध हो रहा है।इस मुद्दे लेकर पुष्कर सिंह धामी की सरकार बैक फुट पर आई गई है।तीर्थ पुरोहित समाज के लोगों ने सीएम पुष्कर धामी द्वारा केदारनाथ के प्रतीकात्मक मंदिर निर्माण का शिलान्यास किए जाने का विरोध किया है।कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर धामी सरकार पर हमलावर हो गई है।केदारनाथ धाम की सीढ़ियों पर तीर्थ पुरोहितों का विरोध चल रहा।इतना ही नहीं विरोध में सड़कों पर लोग नारेबाजी भी कर रहे हैं।

इस मामले पर बद्रीनाथ धाम के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जो मंदिर जहां है और उसकी प्रति बनाकर यह कहना कि जो वहां नहीं जा सकते, यहां आकर पूजा कर ले ये उचित नहीं है।

केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने कहा कि यह अनादि काल मंदिर है।इसकी अखंडता और महत्वता बनी रहनी चाहिए।भगवान केदारनाथ जी सद्बुद्धि दे और कल्याण करे,जो इसकी दिव्यता है उसको किसी भी धार्मिक कार्य के लिए खराब ना करें और इसकी महत्वता को बनाए रखें।

केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने कहा कि हिन्दू परंपराओं के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास किया जा रहा है,जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।सरकार इस फैसले को शीघ्र वापस ले नहीं तो देश में बड़ा आंदोलन होगा।यह हिंदू आस्था के साथ सनातन और वैदिक परंपरा का अपमान है।

बद्रीनाथ केदारनाथ टेंपल कमेटी के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दिल्ली जाकर केदारनाथ मंदिर की स्थापना के लिए उसके शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल हुए। इसका असर सामाजिक और राजनीतिक वातावरण पर पड़ा है।मुख्यमंत्री ने इसका शिलान्यास किया है।इसका असर हमारी धार्मिक मान्यताओं पर, हमारे भविष्य आशाओं पर और इस रीजन की आर्थिक स्थिति पर पड़ा है।

बीते बुधवार को दिल्ली में भगवान केदारनाथ के प्रतीकात्मक मंदिर निर्माण का भूमि पूजन किया गया,जिसमें सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जाकर शिलान्यास किया।इसके बाद केदारघाटी की जनता और केदारनाथ का पंडा समाज आहत और आक्रोशित है।लगातार हो रहे विरोध के बाद धामी सरकार बैक फुट पर आई है और सीएम धामी को सफाई देने पड़ी है।सीएम धामी ने कहा हमारे ज्योतिर्लिंग का एक ही स्थान है।दूसरे स्थान पर धाम नहीं हो सकता है।स्थान पर मंदिर बनते रहे हैं।केदारनाथ उत्तराखंड में है दूसरे स्थान पर नहीं हो सकता।

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