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डोडा हमले में शामिल आतंकियों ने अफगानिस्तान में लिया प्रशिक्षण,18वीं सदी के रूट का कर रहे इस्तेमाल

जम्मू कश्मीर।जम्मू के डोडा के जंगल में सेना पर हमला करने वाले आतंकियों का अफगानिस्तान से प्रशिक्षण लेने का शक है।इन आतंकियों का काम करने का तरीका भी उनसे मिलता-जुलता है।ये आतंकी हमला करने के लिए सबसे पहले क्षेत्र के सबसे ऊंचाई वाले हिस्से पर कब्जा करते हैं।जैसे वे डोडा के जंगल में 9 हजार फीट की ऊंचाई पर बैठे हुए हैं। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि हमला करने के लिए चीन निर्मित ग्रेनेड,अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना द्वारा छोड़ी गई असालट राइफल एम 16 कारबाइन गन,स्टील की गोलियां इस्तेमाल की गईं हैं।

आतंकियों के पास अल्ट्रासेट हैं। हमले के समय इनके सीने पर बाॅडीकैम लगा हुआ था,जिससे रियल टाइम एक्शन कर रहे थे। संभव है कि सीमा पार बैठे हैंडलर आतंकियों बता भी रहे हों कि किस तरह की कार्रवाई करनी है। इस तरह की रणनीति अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकियों की होती है।

पूर्व बिग्रेडियर विजय सागर धीमान का दावा है कि यह आतंकी अफगानिस्तान से प्रशिक्षित होकर आए हैं। हमले में इस्तेमाल हथियार अमेरिका और चीन से लिए गए हैं। हमला करने की रणनीति पूरी तरह से अफगानी आतंकियों की तरह है। आतंकी डोडा के देसा जंगल के सबसे ऊपरी हिस्से पर कब्जा करके बैठे हुए हैं, ताकि उन्हें सेना की हर मूवमेंट की जानकारी मिलती रहे।

सूत्रों का कहना है कि डोडा के जंगल में सक्रिय आतंकी इतनी ऊंचाई पर हैं कि वहां से उन्हें पूरा डोडा दिख रहा है।वहीं इन आतंकियों की मौजूदगी का खुफिया एजेंसियों को पता नहीं चल पा रहा है। ऐसा भी नहीं है कि इन इलाकों में स्थानीय लोग नहीं है। लोगों की मौजूदगी के बावजूद उनका कोई सुराग नहीं लग रहा है। यही वजह है कि सेना इन तक पहुंच नहीं पा रही है।

पूर्व ब्रिगेडियर विजय सागर धीमान का कहना है कि डोडा के जंगलों में 1840 में जनरल जोरावर सिंह की सेना जिन रूट का इस्तेमाल करती थी उन्हीं रूट का इस्तेमाल डोडा में आतंकी कर रहे हैं। यह आतंकी बनी,छत्रगला,गुलडंडा,
भद्रवाह,गंदोह,किश्तवाड़ और फिर डोडा के चरवाहों का पारंपरिक रूट इस्तेमाल कर रहे हैं। यह 18वीं सदी से इस्तेमाल होता आया है।

जम्मू के डोडा जिले में गुरुवार तड़के आतंकी के हमले में दो जवान घायल हो गए। सेना के अधिकारियों ने बताया कि कास्तीगढ़ इलाके के जद्दन बाटा गांव में बुधवार देर रात स्कूल में बने अस्थायी सुरक्षा शिविर पर आतंकियों ने गोलीबारी की।सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच एक घंटे से ज्यादा गोलीबारी हुई। सेना ने फायरिंग की तो आतंकी जंगल की ओर भागे,वहां सेना ने उन्हें घेर रखा है। लगभग 4 घंटे तक सेना और आतंकियों के बीच रुक-रुककर फायरिंग हुई।बता दें कि जम्मू संभाग में डोडा में यह एक महीने के अंदर आतंकियों के साथ मुठभेड़ की छठी घटना है।

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