इटावा हर वर्ष 10 अगस्त को वर्ल्ड स्ट्रैबिस्मस (भैंगापन) डे मानते हैं इस अवसर पर उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के नेत्र विभाग के तत्वाधान में वर्ल्ड स्ट्रैबिस्मस (भैंगापन) डे मनाया गया इस अवसर पर संगोष्ठी का शुभारंभ माननीय कुलपति डॉ प्रभात कुमार सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया।
नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ रवि रंजन ने कहा कि वर्ल्ड स्ट्रैबिस्मस (भैंगापन) डे”को मनाने का मुख्य उद्देश्य है कि लोग भैंगापन के संदर्भ में सही जानकारी पाएं और उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति स्ट्रैबिस्मस से ग्रसित है तो वह हमारे यहां नेत्र ओपीडी कमरा नंबर 29 में (सोमवार से शनिवार) आकर परामर्श ले सकता है।
गोष्ठी में एम्स नई दिल्ली की एडिशनल प्रोफेसर डॉ स्वाति फुलजले ने कोनोकमिटमेंट (साहवर्ती) भेंगापन और संजय गांधी पीजीआई लखनऊ की प्रोफेसर भूतपूर्व विभागाध्यक्ष व हिंद इंस्टीट्यूट मेडिकल साइंस की डॉ प्रो. कुमुदिनी शर्मा पैरालिटिक (लकवाग्रस्त) भेंगापन के संदर्भ व्याख्यान प्रस्तुत किए व उन्होंने तकनीकी बिंदुओं के साथ महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
स्ट्रैबिस्मस (भैंगापन) क्लीनिक इंचार्ज डॉ प्रो. रीना शर्मा ने अपने विशेष व्याख्यान स्ट्रैबिस्मस (भैंगापन) के बारे में प्राथमिक जानकारी देते हुए अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।
आइए जानते हैं स्ट्रैबिस्मस (भैंगापन) क्या है
डॉ रीना ने बताया कि स्ट्रैबिस्मस – जिसे हाइपरट्रोपिया और क्रॉस्ड आइज़ के नाम से भी जाना जाता है – आँखों का गलत संरेखण है, जिसके कारण एक आँख अंदर की ओर (इसोट्रोपिया) नाक की ओर, या बाहर की ओर (एक्सोट्रोपिया) मुड़ जाती है, जबकि दूसरी आँख केंद्रित रहती है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी का पूरी तरह से इलाज किया जा सकता है इसीलिए मैं लोगों से अपील करूंगी जो लोग स्ट्रैबिस्मस से ग्रसित हैं वह एक बार यहां आकर परामर्श अवश्य लें।
कार्यक्रम में प्रति कुलपति डॉ रमाकांत, चिकित्सा अधीक्षक डॉ एसपी सिंह, संकायाध्यक्ष डॉ आदेश कुमार,कुल सचिव डॉ चंद्रवीर,व नेत्र विभाग से डॉ मीनू बब्बर,डॉ बृजेश सिंह,डॉ दीप्ति जोशी, डॉ हिमांशी यादव,डॉ अहमद हुसैन और एमबीबीएस छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
Author: मोहम्मद इरफ़ान
Journalist