किसानों की आवाज जमाखोरों पर प्रशासन कड़ी कार्रवाई करें।
कालाबाजारी में मजबूरन खाद खरीदना पड़ रहा है किसानों को
किसानों और उनके परिवार की महिलाओं की भीड़ यूरिया व डीएपी खाद लेने के लिए लगी हुई है
इटावा। जनपद में,वर्तमान स्थिति में किसान डीएपी व यूरिया खाद के लिए बहुत परेशान है,सहकारी क्रय केंद्रों पर दिन रात में किसान और उनके परिवार की महिलाओं को भी लंबी-लंबी कतारों में पहले लगने की जद्दोजहद करनी पड़ रही है, इससे स्पष्ट नजर आता है, कि खाद की व्यवस्था चरामरा तो गई है और प्रशासन का एक ही शब्द बार बार आ रहा है की जनपद में खाद की कोई कमी नहीं है।
किसानों की इस विकराल समस्या को लेकर जिला समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता उदय भान सिंह यादव, ने कई किसान सेवा केंद्रों, सहकारी समिति, जसवंत नगर मे महिलाओं की लम्बी लाइन देखकर और नई मण्डी में किसानों की पीड़ा पर कहा की, कई एक सैकड़ा किसान अपनी डीएपी व यूरिया खाद लेने के लिए इस मौसम में परेशान हो रहा है, मतलब स्पष्ट है कि खाद का आवंटन जनपद में मांग के अनुरूप नहीं हुआ है, इस प्रकार से किसान कब तक परेशान होता रहेगा, बड़ा सबाल यहाँ उठता है कि, जिस किसान की मेहनत से आज देश टिका है वही किसान रात-रात भर यूरिया व डीएपी खाद के लिए जाग रहा है, किसानों की दुर्दशा देखी नहीं जा रही है, और प्रशासन है कि उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।और एक शब्द बार बार दोहराया जा रहा है की जनपद में खाद की कोई कमी नहीं है।
जनपद में कई स्थानों पर ब्लैक में बिक रहा है खाद, क्यों नहीं हो रही है छापामार कार्रवाई
जिले में कई जगहों पर जमाखोरों ने खाद का स्टोक भारी मात्रा में कर रखा है, और मँहगें दामों में किसानों को यूरिया व डीएपी खाद विक्रय किया जा रहा है, किसान मजबूरन मँहगें दामों में खरीदने के लिए मजबूर है, और जिला प्रशासन के द्वारा इन जमाखोरों के ठिकानों पर छापा क्यों नहीं डाला जा रहा है, यह तमाम प्रकार के पृश्न उनकी खामोंशी पर सबालिया निशाना खड़ा करता है, जिला प्रशासन के द्वारा हर रोज किसानों से अपील की जा रही है, कि खाद का आवंटन रोजाना हो रहा है, कोई भी परेशान न हो, तो फिर ये लम्बी कतारें जो लगी है, ये क्यों लंगी है?, इसका जबाब कौन देगा साहब।
बड़े पैमाने पर नकली खाद भी जमाखोरों के द्वारा विक्रय किया जा सकता है
जिन जमाखोरों के द्वारा यूरिया व डीएपी खाद बाजार में विक्रय हो रहा है, वह सरेआम नकली भी हो सकता है, और उनके द्वारा ऑरजीनल दामों में यह गौरखधंधा भी किसानों की बेबशी में फल फूल रहा है।
Author: मोहम्मद इरफ़ान
Journalist