न्यूरोलॉजी व फिजिकल मेडिसिन एवं रिहैबिलिटेशन विभाग के तत्वाधान में हुआ सतत चिकित्सा शिक्षा ( सीएमई )का आयोजन
सैफई (इटावा) 29,अक्टूबर 2024 हर वर्ष 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है यूपीयूएमएस में न्यूरोलॉजी व फिजिकल मेडिसिन एवं रिहैबिलिटेशन (पीएमआर) विभाग के तत्वाधान में विश्व स्ट्रोक दिवस पर इस वर्ष की थीम ‘ग्रेटर देन स्ट्रोक एक्टिव चैलेंज’ थीम के साथ सतत चिकित्सा शिक्षा ( सीएमई )का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय कुलपति प्रो डॉ प्रभात कुमार सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया।
उन्होंने कहा कि स्ट्रोक दुनिया भर में एक व्यापक बीमारी रही है इसीलिए स्टॉक के हानिकारक प्रभावों को सुधारने के लिए सतत चिकित्सा शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है जिससे हमारा चिकित्सा समुदाय हमारे रोगियों को उच्चतम स्तर की देखभाल प्रदान करने के लिए नवीनतम जानकारीयों को साझा कर सके।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष व प्रतिकुलपति प्रो डॉ रमाकांत यादव ने स्ट्रोक प्रबंधन व रोगी के अस्पताल में भर्ती होने पर बेहतर प्रबंधन से मृत्यु को रोका जाए इस संदर्भ में व्याख्यान प्रस्तुत किया। रायबरेली एम्स से आए सहायक प्रो. डॉ अरविंद कुमार शर्मा ने स्ट्रोक के बाद की स्पास्टिसिटी प्रबंधन और यह कैसे प्रारंभिक गतिशीलता और चलने में मदद करता है इस संदर्भ में महत्वपूर्ण तथ्यों को साझा किया। डॉ.आरएमएल अस्पताल नई दिल्ली व एवीबीआईएमएस सहायक प्रोफेसर डॉ चेतन ने स्ट्रोक पुनर्वास में हालिया प्रगति और कैसे पुनर्वास रुग्णता को कम करने और स्ट्रोक से बचे लोगों में जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए मदद करता है इस संदर्भ में अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।
आईए जानते हैं स्ट्रोक क्या है?
न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ रमाकांत ने बताया कि साइलेंट स्ट्रोक में कोई गंभीर बदलाव या खास लक्षण नहीं दिखाई होते हैं. जैसे कि चेहरे का लटकना, हाथ का लकवा या बोलना. साइलेंट स्ट्रोक, जिसे “एसिम्प्टोमैटिक सेरेब्रल इंफार्क्शन” के रूप में भी जाना जाता है. तब होता है जब मस्तिष्क के एक छोटे से एरिया में ब्लड ठीक से नहीं पहुंच पाता है. या ब्लड पहुंचना बंद हो जाता है. फिर भी इस तरह के स्ट्रोक होने पर कोई खास लक्षण नहीं दिखाई देते हैं. यह रुकावट मस्तिष्क कोशिका क्षति का कारण बनती है. अक्सर व्यक्ति इसे नहीं पहचान पाते हैं।
पीएमआर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विनय कनौजिया ने बताया कि न्यूरोलॉजी विभाग व पीएमआर विभाग स्ट्रोक के प्रबंधन और पुनर्वास के लिए समर्पित विभाग है।पीएमआर विभाग इलेक्ट्रो मोडैलिटीज व्यायाम और जीवन शैली में बदलाव के साथ साक्ष्य आधारित औषधि उपचार प्रबंधन के लिए भी काम करता है ।पुरानी बिल्डिंग ओपीडी के कमरा नंबर 16 में हर बुधवार को न्यूरोरिहैबिलिटेशन क्लिनिक भी अपनी सेवाएं दे रहा है।
कार्यक्रम में चिकित्सा अधीक्षक डॉ एसपी सिंह,व डॉ मिधुन मोहन,डॉ धीरेंद्र कुमार डॉ जावेद अहमद डॉ संजय सिंह डॉ चंदन, डॉ मयंक डॉ विशाल व संकाय सदस्य व मेडिकल छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
Author: मोहम्मद इरफ़ान
Journalist