कानपुर।उत्तर प्रदेश के कानपुर में रानीघाट स्थित प्रेमशंकर दुबे का घर माता-पिता, दो भाई और तीन बहनों से गुलजार था,लेकिन दो दशक पहले एक-एक कर माता-पिता के साथ साथ दोनों भाइयों और तीनों बहनों की मौत हो गई।कभी छात्र राजनीति में सक्रिय रहने वाले प्रेमशंकर इन सदमों से टूट गए। ऐसा टूटे कि फिर उबर ही न सके और अवसाद में चले गए।
जिस श्मशान घाट का नाम सुनते ही मन में एक डर की अजीब सी भावना उमड़ पड़ती है,रूह कांप जाती है उसी भैरोघाट के श्मशान को प्रेमशंकर ने अपना बसेरा बना लिया
बता दें कि रानी घाट के रहने वाले 60 वर्षीय प्रेमशंकर दुबे वीएसएसडी कालेज से समाजशास्त्र से एमए किया है और युवावस्था में छात्र राजनीति करते थे।प्रेमशंकर चिंटू उपनाम से चर्चित थे और उन्हें चुनाव लड़ाने वाला नेता कहा जाता था।
29 दिसंबर की रात में हाड़ कंपा देने वाली ठंड से बचने के लिए प्रेमशंकर शमशान में जल रही चिता के बगल में बिस्तर बिछाकर लेट गए।रात में ही शमशान घाट स्थित काली जी के मंदिर पहुंचे एक युवक ने प्रेमशंकर का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया।30 दिसंबर को जब इसका वीडियो वायरल हुआ तो पूरा प्रशासनिक अमला भैरोघाट पहुंच गया और प्रेमशंकर को समझा बुझाकर रैन बसेरे में ठहराया
वीडियो वायरल होने पर डीएम विशाख जी और नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जीएन सहित अन्य अधिकारी दोपहर में भैरोघाट पहुंचे। प्रेमशंकर ने उन्हें बताया कि ठंड लग रही थी,इसलिए वहां जाकर लेट गए थे।प्रेमशंकर ने बताया रानीघाट में उनका घर है,लेकिन घर जाने से इनकार कर दिया।फिर भी प्रेमशंकर को घर ले जाया गया। घर की हालत देखकर लग रहा था जैसे कई साल से मकान का ताला भी न खुला हो। मोहल्ले के लोगों ने भी इसकी पुष्टि की।अफसर प्रेमशंकर के भांजे के घर भी गए पर वहां भी ताला लगा था। ऐसे में प्रेमशंकर को भैरोघाट रैनबसेरा ले जाया गया
रानी घाट के रहने वाले पूर्व सभासद मदन बाबू ने बताया कि प्रेमशंकर को परिजनों की मौत से गहरा सदमा लगा।मानसिक रूप से परेशान रहने के बाद वह घर छोड़कर भैरोघाट में ही रहने लगे।रात में भी भैरोघाट में ही सोने लगे।मदन बाबू ने बताया कि पास में ही रह रहे भांजों ने उन्हें समझाने की कोशिश की,लेकिन उससे कुछ न हुआ। वह भैरो मंदिर में मिलने वाले प्रसाद और भंडारों के सहारे हो गए
Author: मोहम्मद इरफ़ान
Journalist