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अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के गुरु का नाम सुनकर दंग रह जाएंगे आप,आज भी जेल में लगता है दरबार

लखनऊ।अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को जहर देने की खबर ने कई देशों में खलबली मचाई है।कई देशों की पुलिस को अंडरवर्ल्ड डॉन की तलाश है।आइए दाऊद इब्राहिम के गुरु कहे जाने वाले पूर्वांचल के माफिया के बारे में जानते हैं।

एक ऐसा घोस्ट जिसे कई देशों की पुलिस खोज रही हो, जिसके सिर पर अनगिनत अपराध हो,जिसे जरायम की दुनिया का बादशाह कहा जाता हो।उसे अचानक‌ जहर देकर मारने की खबर से हड़कंप मच जाना स्वाभाविक है।हम बात कर रहे हैं अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की।मीडिया के हवाले से कहा जा रहा है कि दाऊद इब्राहिम को किसी करीबी ने जहर दिया है। दाऊद इब्राहिम अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहा है,लेकिन इन सब के बीच एक सवाल सबके मन में जरूर आया होगा की जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह का कोई तो गुरू होगा ही।आखिर वो कौन है जिसने इतने बड़े डॉन को अपराध की एबीसीडी सिखाई।आइए जानते हैं उस शख्स के बारे में जिसे दाऊद का गुरू कहा जाता है।

बताया जाता है कि 90 के दशक के आसपास वाराणसी से एक युवक बड़ा आदमी बनने का ख्वाब लेकर देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पहुंचता है।उस युवक का नाम सुभाष ठाकुर था।सुभाष ठाकुर अपनी किस्मत आजमाने मुंबई पहुंच चुका था।सुभाष ठाकुर की किस्मत ने उसे जरायम की दुनिया में धकेल दिया। सुभाष ठाकुर जवानी के दिनों में ही जरायम की दुनिया में कदम रख दिया।इसके बाद सुभाष ठाकुर जरायम की दुनिया से वापसी न कर सका।जरायम की दुनिया में सुभाष ठाकुर आज भी एक बड़ा नाम है। कहा जाता है कि सुभाष ठाकुर उस समय मुंबई की जरायम की दुनिया में अपना एक ओहदा बना चुका था।ठीक उसी समय मुंबई पुलिस के एक कांस्टेबल का बेटा जरायम की दुनिया में अपना सिक्का जमाने के लिए निकल पड़ा।इसका नाम था दाऊद इब्राहिम।दाऊद को इस दुनिया में अपने पांव जमाने के लिए एक गुरु की जरूरत थी। गुरू की तलाश में वह सुभाष ठाकुर के दरबार में पहुंच गया।सुभाष ठाकुर के नीचे ही काम कर के दाऊद इब्राहिम ने जरायम की एबीसीडी और तौर-तरीके सीखे। यहीं से दाऊद इब्राहिम गैंगस्टर बना।

कहा जाता रहा है कि एक समय ऐसा था जब सुभाष ठाकुर, छोटा राजन और दाऊद इब्राहिम एक साथ काम करते थे। उस दौरान इन तीनों का एक ही दुश्मन था गवली गिरोह। इस गिरोह के शूटरों ने दाऊद इब्राहिम के बहनोई इस्माइल पार्कर की 26 जुलाई 1992 में हत्या कर दी। बहनोई की हत्या के बाद से दाऊद इब्राहिम इनसे बदला लेने के लिए बेकरार हो गया था। बहनोई की हत्या का बदला लेने के लिए दाऊद इब्राहिम ने सुभाष ठाकुर और छोटा राजन का इस्तेमाल किया। इन दोनों ने 12 सितंबर 1992 को जेजे अस्पताल में घुसकर गवली के शूटरों को भून डाला।यह शूटआउट काफी चर्चा में रहा क्योंकि इस तरह खुलेआम शूटआउट होना आम बात नहीं थी।

जरायम की दुनिया का एक काला सच यह भी है कि कब यहां दोस्ती दुश्मनी में बदल जाए कहा नहीं जा सकता। ऐसा ही कुछ दाऊद इब्राहिम और सुभाष ठाकुर के बीच हुआ। दाऊद इब्राहिम ने जिससे जरायम की दुनिया के तौर तरीके सीखे उसी की जान का दुश्मन बन बैठा। दरअसल 1992 में मुंबई में हुए खौफनाक बम ब्लास्ट के बाद सुभाष ठाकुर दाऊद इब्राहिम से नाराज हो गया और किनारा कर लिया।इसके बाद दोनों के बीच दुश्मनी बढ़ती गई। कहा जाता है कि उस समय दाऊद इब्राहिम के सबसे बड़े दुश्मन छोटा राजन से सुभाष ठाकुर ने हाथ मिला लिया था।

मुंबई पुलिस ने जेजे अस्पताल में हुए हत्याकांड के आरोप में सुभाष ठाकुर पकड़ा तो यह केस काफी लंबा चला। अंत में अदालत ने सुभाष ठाकुर को साल 2000 में गवली गैंग के शूटर शैलेश हल्दानकर समेत दो पुलिस वालों की हत्या और पांच अन्य लोगों को घायल करने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।मौजूदा समय में सुभाष ठाकुर फतेहपुर सेंट्रल जेल में बंद है। कहा जाता है कि जेल में होने के बावजूद भी सुभाष ठाकुर धमक कम नहीं हुई है। लोग अब सुभाष ठाकुर को वहां बाबा के नाम से जानते हैं। लंबी बाल और दाढ़ी अब सुभाष ठाकुर की पहचान है। यह भी कहा जाता है कि यूपी के जितने भी बड़े माफिया हैं या थे सब बाबा के दरबार में हाजिरी लगाते रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जेल में रहने के दौरान सुभाष ठाकुर ने अपनी जान को दाऊद इब्राहिम के गुर्गों से खतरा बताते हुए बुलेट प्रूफ जैकेट की भी मांग की थी। तो ये थी दाऊद के गुरु कहे जाने वाले सुभाष ठाकुर की कहानी।

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