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जनाबे सकीना की पैदाइश पर हुआ महफिल का आयोजन- जब जिक्र वफाओं का कहीं होता है बढ़कर लिखता है मेरा कलम अलमदार सकीना

इटावा। शहीदे आजम इमाम हुसैन की चहेती बेटी जनाबे सकीना की पैदायश के खुशनुमा मौके पर मस्जिद पंजतनी इटावा में अख्तर अब्बास की ओर से एवं मौलाना अनवारुल हसन जैदी इमामे जुमा इटावा की अध्यक्षता में महफ़िल का आयोजन किया गया।
महफ़िल में कलाम पेश करते हुये सलीम रज़ा ने कहा मासूमों के होते हुए तुम कहलाईं मासूम, कोई न मिली तेरी भी तसकीन सकीना। तनवीर हसन ने कलाम पेश करते हुये कहा इस वास्ते परचम में तेरी मश्क बंधी है, होता रहे सबको तेरा दीदार सकीना, जब जिक्र वफाओं का कहीं होता है बढ़कर, लिखता है मेरा कलम अलमदार सकीना। अख्तर अब्बास मोंटू ने कलाम पेश करते हुये कहा अंधेरों को कभी नूर न समझा जाए, हो के प्यासी हूं मगर मजबूर न समझा जाये, ऐ मुसीबत के गिरफ्तार परेशान न हो, मेरे बाबा के अजादार परेशान न हो।आबिद रज़ा ने कलाम पेश करते हुये कहा नाम है मेरा सकीना मैं हूं बिन्ते शब्बीर, सब्र ए सरवर की अंगूठी का नगीना मैं हूं। महफ़िल की अध्यक्षता करते हुये मौलाना अनवारुल हसन जैदी ने इमाम हुसैन की बेटी और मौला अब्बास की भतीजी जनाबे सकीना की पैदाइश पर मुबारकबाद पेश करते हुये कहा सकीना का मतलब सुकून के हैं। सकीना कर्बला में सिर्फ 4 साल की थीं और वह अपने बाबा इमाम हुसैन, चचा मौला अब्बास और भाइयों के लिए सुकून का सबब बनीं। महफ़िल में हाजी कमर अब्बास नक़वी, राहत अक़ील, शावेज़ नक़वी, मो. मियां, हसन अब्बास, अली साबिर, तहसीन रज़ा, शहजादे, परवेज़ हसनैन नक़वी, अब्बास हैदर राजा, तालिब रिजवी, हसन रजा, मो. यूसुफ, वली मुर्तज़ा, अर्श आदि ने प्रमुख रूप से भाग लिया।

जाहिद वारसी की रिपोर्ट इटावा

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