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इटावा (सैफई) 6 मई 2024 हर वर्ष मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है।1998 में, बार्सिलोना, स्पेन में पहली विश्व अस्थमा बैठक के संयोजन में 35 से अधिक देशों में पहला विश्व अस्थमा दिवस मनाया गया। इस वर्ष विश्व अस्थमा दिवस की थीम है “जागरूकता और सशक्तिकरण”।
उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई के संकायाध्यक्ष व रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. आदेश कुमार ने बताया कि अस्थमा में सांस की नली सख्त या सिकुड़ जाती है और उसमें सूजन आ जाती है इससे सांस लेते समय परेशानी होती है सांस फूलना और खांसी की समस्या इसी कारण होती है जिससे छाती में जकड़न और सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आती है। इसीलिए धुएं धूल और धूम्रपान जैसी आदतों से अस्थमा की समस्या बढ़ जाती है और वही संक्रमण सर्दी जुकाम होने पर अस्थमा की तकलीफ को और बढ़ा देता है। इसीलिए अस्थमा रोगियों को धूल,धुआं से बचाव रखना चाहिए और धूम्रपान जैसी आदतों से बचना जरूरी है।
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उन्होंने बताया कि अस्थमा के इलाज में दवाओं के अलावा दो प्रमुख तरीके के रिलीवर व कंट्रोलर इनहेलर का प्रयोग डॉक्टर्स के निर्देशानुसार करें।
अस्थमा रोगी सावधानी बरतें
प्रो . डॉ आदेश ने बताया कि इस मौसम में घटते-बढ़ते तापमान में रोगी खास ख्याल रखें। दवा पास रखें और कंट्रोलर इन्हेलर समय से लें। सिगरेट/सिगार व बीड़ी के धुएं से बचें, फेफड़े को मजबूत बनाने के लिए सांस का व्यायाम अर्थात प्राणायाम करें। बच्चों को लम्बे रोंयेंदार कपड़े न पहनायें व रोंयेदार खिलौने खेलने को न दें। सेंमल की रूई से भरे तकिए, गद्दा या रजाई का इस्तेमाल न करें। रोगी एयरकंडीशन या कूलर के कमरे से एकदम गर्म हवा में बाहर न जायें। धुआँ, धूल, मिट्टी, वाली जगह से बिना नाक मुँह ढंके न गुजरें। इत्र या परफ्यूम का इस्तेमाल न करें।
अस्थमा रोगीयों की जांच व परीक्षण
यूपीयूएमएस के असिस्टेंड प्रो. डॉ प्रशांत कुमार ने बताया कि अस्थमा रोगी का परीक्षण व फेफड़े की कार्यक्षमता की जांच पीएफटी (पलमोनरी फंक्शन टेस्ट), पीईएफआर, स्पाइरोमेट्री, द्वारा किया जाता है व एलर्जी टेस्ट न्यू बिल्डिंग के कमरा नंबर 26 में होता है और रेस्पिरेट्री मेडिसिन की ओपीडी न्यू बिल्डिंग रुम नबंर 27 में है ,जहां पर आकर अस्थमा रोगी डॉक्टर्स से परामर्श ले सकते हैं।
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Author: मोहम्मद इरफ़ान
Journalist
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